सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 37वें दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच में राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई हुई। अदालत ने सभी पक्षों को एक दिन पहले यानी 17 अक्टूबर तक बहस खत्म करने का निर्देश दिया। इससे पहले दलीलों के लिए 18 अक्टूबर की तारीख तय की गई थी। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने कहा कि मस्जिद वह स्थान है, जहां अल्लाह का नाम लिया जाता है। यहां लोग नमाज अदा करते हैं। इस पर जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, ''क्या मस्जिद दैवीय है? क्या यह अल्लाह को समर्पित है?'' इस पर धवन ने कहा कि यह हमेशा से दैवीय है। हम दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं। ये अल्लाह को ही समर्पित है।
इस दौरान धवन ने कहा कि वह 14 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे। आज (शुक्रवार को) दलील पेश करने के लिए पूरा दिन लेंगे। अगर शनिवार को कोर्ट बैठता है, तो करीब 1 घंटे का समय लेंगे। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मामले की सुनवाई अब 14 अक्टूबर को होगी न कि शनिवार को।
'अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर था'
गुरुवार को रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा था कि बाबरी मस्जिद के नीचे बहुत बड़ा निर्माण था, यह सबूत संदेह से परे है। खुदाई में निकाले गए सामान से यह नतीजा निकलता है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर था। उन्होंने कहा था कि यह दावा कि विवादित ढांचे के नीचे जो निर्माण है, वह ईदगाह की दीवारें या इस्लामिक ढांचा है, यह सही नहीं है।
खंभों की बुनियादें बताती हैं कि ढांचे के नीचे निर्माण था- वैद्यनाथन
वैद्यनाथन ने कहा था कि पहले केस यह था कि वहां कोई ढांचा ही नहीं था। दूसरी बार उन्होंने (मुस्लिम पक्ष) ने कहा कि यह एक इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की दीवारें थीं। हम कहते हैं कि यह एक मंदिर था, जिसे ढहा दिया गया। खुदाई के दौरान जो खंभों की बुनियादें मिलीं है, वह भी यही कहती हैं।
वहीं, गुरुवार को राजीव धवन ने कहा था कि एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बात के कोई सबूत या निशान नहीं मिले हैं कि किसी मंदिर को ढहाया गया।